१. कुछ प्रश्न-अवतार रहस्य के बारे में कई विद्वानों और साधकों ने लिखा है। श्री गोपीनाथ कविराज की एक स्वतन्त्र पुस्तक है-पूजा तत्त्व। इन पर कई प्रश्न प्रायः किये जाते हैं-केवल विष्णु का अवतार क्यों होता है? ब्रह्मा की पूजा क्यों नहीं होती?
२. अवतार-ईश्वर की विभूति जिस मनुष्य में हो उसे अवतार कहा गया है। भगवान् श्रीकृष्ण ने अपनी ५२ विभूतियों का वर्णन करने के बाद गीता में कहा है-जो भी विभूति है वह मेरा ही रूप है।
नान्तोऽसि मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप। एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया॥४०॥
यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं श्रीमदूर्जितमेव वा। तत्तदेवावगच्छ त्वं मम तेजोंऽश संभवम्॥४१॥
(गीता, अध्याय १०)
श्रीकृष्ण को केवल गीता में भगवान् कहा है, जब वे समाधि अवस्था में ब्रह्म के साथ एकाकार थे। महाभारत में अन्य स्थानों पर उनको भगवान नहीं कहा है। युद्ध के बाद एक बार अर्जुन ने कहा कि वे गीता का उपदेश भूल गये हैं और पुनः सुनना चाहते हैं। श्रीकृष्ण ने कहा कि गीता उपदेश के समय वे योगयुक्त होने के कारण परब्रह्म का वर्णन कर रहे थे, पुनः उसका वर्णन संभव नहीं है। (महाभारत, आश्वमेधिक पर्व में अनुगीता पर्व, १६/६-१३)।
सबसे अधिक विष्णु के अवतारों का उल्लेख होता है, अतः पहले उनका वर्णन किया जायेगा। विष्णु के ३ प्रकार के अवतार हैं-
(१) आकाश में नित्य अवतार, (२) असुर दमन के लिए मनुष्य अवतार, (३) मनुष्य तथा विभूति अवतार।
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