ग्रहण के समय जैविक प्रक्रियाएं धीमी हो जाती है अर्थात पाचन आदि की गति धीमी हो जाती है अतः भारी...
पूजाकार्यों में चाँदी का उपयोग निषिद्ध माना गया है, परंतु उसमें विद्यमान रजोगुण और वायुतत्त्व के कारण पितर नैवेद्य (भोजन)...
विनायक का लक्षण है विघ्न करना। सुख, समृद्धि, स्वाध्याय, यज्ञ, पूजा जैसी उपादेय वस्तुओं और क्रियाओं में बाधा डालने वालों,...
मनुभगवान्ने मृत्यु के आने का सर्वप्रथम कारण वेदों के अनभ्यास को बताया है। इस मन्त्र से तिलकी १०,००० आहुति देने...
श्रीराधा ने प्रियतम प्रेमार्णव श्रीश्यामसुन्दर के दर्शन करके सर्वसमर्पण कर दिया। अब वे आठों पहर उन्हीं के प्रेम-रस-सुधा-समुद्र में निमग्न...
महात्माओं द्वारा कल्याण के निमित्त यह श्रुति दूधर्मेसे रुद्राष्टाध्यायी रूप नवनीत निकालकर साररूप लिया गया है।...
तान्त्रिक आचार्यगण जिसे परमसत्ता कहते है, बही निष्कलपरमपद है। उसी को परमशिव कहा जाता है...
प्रत्येक महाविद्या की क्रिया के मूलभाव- बीजा-क्षरनाद (मूलबीज) में योगियों, सिद्धों ने प्रत्येक महाविद्या के बीज संयुक्त किए हैं। उस...
हमारे देश में जहां धर्माचरण, साधना एवं गुरु की कृपा को भुलाया जा रहा है, वहीं समाज को मार्गदर्शन देने...
समस्त प्राणियों की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय का कारण प्राणवायु नहीं हो सकता। अतः यहाँ 'प्राण' नाम से ब्रह्म का...