भगवान का अवतार क्षत्रिय विनाश या वर्ण द्वेष फैलाने के लिए नहीं होता है,बल्कि असुर संहार के लिए।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाऽऽत्मानं सृजाम्यहम् ॥७॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥८॥
(गीता, ४/७-८)
६७७७ ईपू में मेगास्थनीज के अनुसार बाक्कस या डायोनिसस ने आक्रमण किया था।
Megasthenes: Quotes from Indika-
FRAGM. L. C. Plin. Hist. Nat.VI. Xxi.4-5. of the Ancient History of the Indians.
For the Indians stand almost alone among the nations in never having migrated from their own country. From the days of Father Bacchus to Alexander the Great, their kings are reckoned at 154, whose reigns extend over 6451 years and 3 months.
भारतीय पुराणों के अनुसार इसमें सूर्यवंशी राजा बाहु मारे गये थे। इस यवन आक्रमण में भारत के हैहय तथा तालजंघ राजाओं ने विदेशी आक्रमणकारियों का साथ दिया था,अतः परशुराम का अभियान मुख्यतः सहस्रबाहु के विरुद्ध था।
(विष्णु पुराण,३/३)
परशुराम ने अत्याचारी राजाओं के विरुद्ध संघर्ष में अनेक जातियों को संगठित कर पूर्व में परशुराम कुण्ड से पश्चिम में ईराक की कुर्द (कामधेनु के खुर से उत्पन्न खुरद) जातियों तक भारत को एक किया। उत्तर में हिमालय से दक्षिण सीमा तक उनका निवास था।
ब्रह्मवैवर्त पुराण (३/२४/५९-६४)
कृषि उत्पादक भूमि को कामधेनु कहते थे। इसकी जातियां थीं-हुंभारव से पह्लव (पहलवान), हुंकार से काम्बोज, योनि देश (पश्चिमी अरब) से यवन, सकृद् देश से शक (पश्चिमोत्तर एशिया), खुर स्थान से खुरद (कुर्द), हारीत, किरातक, म्लेच्छ, हारीत। इनमें कुछ जातियां भारत पर असुर आक्रमण में सहायक बन गयीं थी, जिनको परशुराम ने पुनः भारत पक्ष में संगठित किया।
श्री अरुण कुमार उपाध्याय (धर्मज्ञ )-