आद्याशक्ति की विशेषताएँ

img25
  • मिस्टिक ज्ञान
  • |
  • 29 September 2025
  • |
  • 0 Comments

श्रीमती कृतिका खत्री, सनातन संस्था, दिल्ली-

नवरात्रि के पहले तीन दिन तमोगुण को कम करने के लिए तमोगुणी "महाकाली" की, अगले तीन दिन सत्त्वगुण को बढ़ाने के लिए रजोगुणी "महालक्ष्मी" की और अंतिम तीन दिन साधना को बढ़ाने के लिए सत्त्वगुणी "महासरस्वती" की पूजा की जाती है। इन तीनों शक्तियों को समेटनेवाली आद्याशक्ति के विषय में जानकारी इस लेख से प्राप्त करें।

https://mysticpower.in/astrology/

अर्थ – महाकाली ‘काल’ तत्त्व की, महासरस्वती ‘गति’ तत्त्व की और महालक्ष्मी ‘दिक्’ (दिशा) तत्त्व की प्रतीक हैं। काल के उदर में सभी पदार्थों का विनाश होता है। जहां गति नहीं है, वहां सृष्टि की प्रक्रिया रुक जाती है। फिर भी अष्टदिकों में जगत की उत्पत्ति, पालन और संवर्धन हेतु एक शक्ति निरंतर सक्रिय रहती है। वही है आद्याशक्ति। उपर्युक्त तीनों तत्त्व इस महाशक्ति में अखंड रूप से विद्यमान रहते हैं।

कुछ अन्य नाम – आदिशक्ति, पराशक्ति, महामाया, काली, त्रिपुरसुंदरी और त्रिपुरा। इनमें से कुछ शक्तियों की विशिष्ट जानकारी आगे दी गई है।

https://mysticpower.in/bhavishya-darshan.php

(अ) काली – महानिर्वाणतंत्र के अनुसार काली (आद्याशक्ति) वास्तव में अरूप है; परंतु गुण और क्रियानुसार उसकी रूपकल्पना की जाती है। जब वह सृष्टिकर्म में लीन रहती है, तब वह रजोगुणी और रक्तवर्णी होती हैं। जब वह विश्वस्थिति में संलग्न होती हैं, तब सत्त्वगुणी और गौरवर्णी होती हैं और जब संहारकर्म में लीन रहती है, तब तमोगुणी और श्यामवर्णी होती हैं।

(आ) त्रिपुरा – त्रिपुरा शब्द की व्याख्या इस प्रकार है –
“त्रीन् धर्मार्थकामान् पुरति पुरतो ददातीति।” – शब्दकल्पद्रुम
अर्थ : धर्म, अर्थ और काम – इन तीन पुरुषार्थों को जो साध्य कराती है, वही त्रिपुरा हैं।
त्रिपुरा के अनेक रूप हैं और प्राचीन काल में इन सबकी उपासना होती थी। त्रिपुरा प्रथम कुमारी के रूप में अवतरित हुईं, उसके बाद उन्होंने अपने तीन रूप किए – त्रिपुराबाला, त्रिपुरभैरवी और त्रिपुरसुंदरी।

(इ) त्रिपुरसुंदरी – त्रिपुरसुंदरी को शक्तियों ने ‘पराशक्ति’ कहा है। उपासक त्रिपुरसुंदरी की उपासना चंद्ररूप से करते हैं। चंद्र की 16 कलाएँ हैं। पहली से पंद्रहवीं कला का उदय और अस्त होता रहता है; किंतु सोलहवीं कला नित्य है। उसे ‘नित्यषोडशिका’ कहा गया है। वही षोडशी सौंदर्य और आनंद का परमधाम है, जिसे ‘महात्रिपुरसुंदरी’ कहा गया है।

तीन मुख्य रूप – आद्याशक्ति द्वारा धारण किए गए कार्यानुरूप रूप और उनकी विशेषताएँ :

देवी का नाम, गुण,वर्ण, संबंधित देवता  एवं वध किए गए दैत्य :

महाकाली तमोगुणी, कृष्ण (काला) , रुद्र/शिव , मधु और कैटभ, महालक्ष्मी सत्त्वगुणी, गौर (गोरा), श्रीविष्णु,  महिषासुर, महासरस्वती रजोगुणी,  रक्त (लाल) , ब्रह्मा, शुंभ-निशुंभ

संदर्भ : सनातन-निर्मित ग्रंथ ‘शक्ति’



Related Posts

img
  • मिस्टिक ज्ञान
  • |
  • 26 September 2025
देवी के नौ रूप की विशिष्टताएं !
img
  • मिस्टिक ज्ञान
  • |
  • 25 September 2025
सप्तशती…रहस्य

0 Comments

Comments are not available.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Post Comment