श्रीमती कृतिका खत्री , सनातन संस्था , दिल्ली -
प्राचीन काल से नवरात्रि का व्रत किया जाता है। इन नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है । नवरात्रि के निमित्त हम इन देवियों के नौ रूपों की महिमा जानेंगे। नवरात्रि का व्रत अर्थात आदि शक्ति की उपासना है। नवरात्रि के प्रथम दिन आदिशक्ति देवी का प्रकट होने वाला शैलपुत्री रूप !
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृृतशेखराम।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
अर्थ : मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करने वाली, वृषभ पर आरूढ, त्रिशूल धारिणी, वैभवशाली ऐसी शैलपुत्री देवी को इच्छित मनोकामना पूर्ण हो इसलिए मैं वंदन करता हूं।
शैलपुत्री : पर्वत राज हिमालय की कन्या शैलपुत्री समस्त देवताओं के अहंकार का भी हरण करने वाली हैं। भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाली, चंद्रालंकार धारण करने वाली, वृषभ आरूढ, त्रिशूल धारिणी एवं यश प्राप्त करवाने वाली शैलपुत्री देवी के चरणों में कोटि-कोटि वंदन।
नवरात्रि के दूसरे दिन प्रकट होनेवाला आदिशक्ति का रूप "ब्रह्मचारिणी" ! - ब्रह्मचारिणी यह देवी सती का अविवाहित रूप है। देवी ब्रह्मचारिणी ने सहस्त्रों वर्ष कठिन तपश्चर्या की । देवी ने संसार के सामने ईश्वर प्राप्ति के लिए अखंड साधना करके अविरत साधना का अति उत्तम आदर्श रखा है।
चंद्रघंटा यह आदिशक्ति का तीसरे दिन प्रकट होनेवाला रूप ! - देवी चंद्रघंटा यह पार्वती का विवाहित रूप है । देवी पार्वती का शिव से विवाह होने के बाद देवी ने अपने मस्तक पर घंटा रूप में अलंकार अर्थात गहने के रूप में चंद्र धारण किया है। देवी चंद्रघंटा भक्तों के जीवन के दुख दूर करने के लिए सदैव तत्पर रहती हैं । देवी उनके भक्तों के जीवन से भूत, प्रेत एवं पिशाच बाधा दूर करती हैं।
कूष्मांडा आदिशक्ति का नवरात्रि के चौथे दिन प्रकट होनेवाला रूप ! कूष्म अर्थात स्मित हास्य ! कूष्मांडा अर्थात केवल अपने स्मितहास्य से ब्रह्मांड की उत्पत्ति करनेवाली । जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था एवं सर्वत्र अंधकार था उस समय देवी ने कूष्मांडा रूप में केवल हास्य से ब्रह्मांड की उत्पत्ति की। कुष्मांडा देवी को भूरे कुम्हडे की बलि अत्यंत प्रिय है । कूष्मांडा देवी भक्तों के रोग एवं शोक दूर करनेवाली एवं आयुष्य वृद्धि करनेवाली देवी हैं ।
आदिशक्ति देवी का नवरात्रि के पांचवें दिन प्रकट होने वाला स्कंदमाता रूप ! - बाल रूप कार्तिकेय को गोद में ली हुई आदिशक्ति ज्ञानदायिनी होने के कारण उनका स्कंदमाता यह ज्ञान स्वरूप है। देवताओं के सेनापति अर्थात कार्तिकेय का एक नाम स्कंद है । स्कंद माता अर्थात कार्तिकेय की माता । इस रूप में स्कंदमाता ने बाल रूप के कार्तिकेय को स्वरूप का ज्ञान दिया, इसलिए वह ज्ञान स्वरूपिणी हैं।
नवरात्रि के छठवें दिन प्रकट होनेवाला आदिशक्ति का भय, शोक दूर करनेवाला "कात्यायनी" रूप ! - महर्षि कत के पुत्र कात्य ऋषि एवं कात्य ऋषि के पुत्र महर्षि कात्यायन। महर्षि कात्यायन की इच्छा थी कि देवी उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें। इसलिए उन्होंने आदिशक्ति की कठोर तपश्चर्या की थी । भवानी, चामुंडा यह सब कात्यायनी देवी के ही रूप हैं।
नवरात्रि के सातवें दिन प्रकट होनेवाला आदिशक्ति का कालरात्रि रूप अर्थात शुभंकरी ! - नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है । कालरात्रि का रूप भयंकर है, परंतु वह सदैव शुभ फल देनेवाली हैं। देवी का यह रूप देखकर सभी दानव, भूत प्रेत आदि डरते हैं । कालरात्रि देवी की उपासना करने से ग्रह पीडा, अग्निभय, जल भय, जंतु भय एवं शत्रु भय दूर होता है ।