खग्रास चंद्र ग्रहण

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  • मिस्टिक ज्ञान
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  • 05 September 2025
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पंडित सुनील पांडेय ,एम् ए ज्योतिर्विज्ञान लखनऊ विश्वविद्यालय-

7 सितम्बर 2025 दिन रविवार को खग्रास चंद्र ग्रहण लग रहा है , यह चंद्रग्रहण पुरे भारत में दिखाई देगा। अतः इस ग्रहण का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व है।

यह ग्रहण भारतीय समयानुसार रात्रि के 9 बजकर 53 मिनट से लगेगा एवं एक बजकर 25 मिनट तक रहेगा।

यह ग्रहण पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र एवं कुम्भ राशि पर लगेगा ,चंद्रग्रहण में सूतक कॉल 9 घंटा पहले लगता है अतः इस दिन सूतक कॉल दोपहर 12 बजकर 53 मिनट से लग जायेगा , सूतक कॉल में बालक वृद्ध या रोगी को छोड़कर बाकि भोजन नहीं करना चाहिए , हो सके तो शाम को 6 बजकर 53 मिनट अर्थात ग्रहण के 4 घंटे पहले तक हल्का नास्ता आदि ले सकते है।
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ग्रहण के समय जैविक प्रक्रियाएं धीमी हो जाती है अर्थात पाचन आदि की गति धीमी हो जाती है अतः भारी काम , जैसे मेहनत का काम नहीं करना चाहिए , भोजन भी कम ही करना चाहिए , ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओ को बाहर नहीं (9 53 pm से  1 25 am तक) निकलना चाहिए , हो सके तो गाय का गोबर से घेर देना चाहिए ।
 

ग्रहण के समय अल्ट्रा वॉइलेट रेजे निकलती है जो की म्युटेशन कर सकती है ,लेकिन इसी कारण इस समय मानसिक रूप से कोई मन्त्र का जप करे तो मन्त्र सिद्ध भी हो जाता है , अतः ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान आदि करके मानसिक रूप से किसी आसन पर आराम से बैठकर मन्त्र जप करे , एवं मोक्ष के समय पुनः स्नान करके उरद चावल आदि का स्पर्श करके रख दे उसमे कुछ दक्षिणा भी रखे एवं अगले दिन किसी को दान कर दे , मंदिर आदि में भी दान कर सकते है , माला लेकर न जप करे , एवं दीपक आदि भी न जलाये ।
 

मंदिर के कपाट सूतक कॉल लगते ही बंद हो जायेगे , आप भी अपने मंदिर को 12 53 pm से पहले ढक सकते है ,ग्रहण कोई अच्छी घटना नहीं है , परन्तु जप तप , दान पुण्य के लिए शुभ है , जो इसके महत्वा को जानते है वो इसका लाभ जरूर लेते है ।  

   
🛕 ग्रहण में क्या करें, क्या न करें 
🌘 चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है।
🌘 सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक 'अरुन्तुद' नरक में वास करता है।
🌘 सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।
🌘 ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
🌘 ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यंतआवश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
🌘 ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।
🌘 ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
🌘 ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।
🌘 ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए। ग्रहण के स्नान में गरम जल की  अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है।
🌘 ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
🌘 ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं।
🌘 ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
🌘 ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सुअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
🌘 तीन दिन या एक दिन उपवास करके स्नान दानादि का ग्रहण में महाफल है, किन्तु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रान्ति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।
🌘 भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- 'सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया  पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।'
🌘 ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
🌘 ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। (स्कन्द पुराण)
🌘 भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए।(देवी भागवत)
🌘 अस्त के समय सूर्य और चन्द्रमा को रोगभय के कारण नहीं देखना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खं. 75.24)    



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  • मिस्टिक ज्ञान
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  • 23 August 2025
वेदों के मान्त्रिक उपाय

1 Comments

abc
Chander swami Bharti 07 September 2025

बहुत ही उत्तम जानकारी

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