जिस युग में जितने सहस्र दिव्य वर्ष, उससे दोगुने सौ वर्ष उनकी संध्या एवं संध्यांशों में होते हैं। इस प्रकार...
जो सोता है उसके लिए कलियुग है और जो जँभाई लेता है उसके लिए द्वापर तथा जो उठकर खड़ा होता...
महर्षि चरक के ही अनुसार- इन्द्रिय, शरीर, मन और आत्मा के संयोग को आयु कहते हैं । धारि, जीवित, नित्यग,...