श्री सुन्दर कुमार (प्रधान सम्पादक )-
Mystic Power- हरिद्वारः बांग्लादेश में हुए भीषण दंगों में मारे गए हिंदुओं की आत्मा की शांति के लिए श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े में नगर की अधिष्ठात्री देवी महामाया देवी तथा नगर रक्षक आनंद भैरव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई। साथ ही शांति यज्ञ का आयोजन भी किया गया।
श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरी महाराज के संयोजन में पुूजा-अर्चना व शांति यज्ञ का आयोजन हुआ। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर जूना पीठाधीश्वर श्रीमहंत अवधेशानंद गिरि महाराज ने नागा सन्यासियों की उपस्थिति में शांति यज्ञ में पवित्र मंत्रोच्चारण के साथ आहुतियां डाली तथा मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार और नरसंहार का हम प्रतिकार करते हैं। साथ ही उन्होंने बांग्लादेश सरकार से कहा कि हिंदुओं पर अत्याचार ना हो तथा उनका विकास हो इसकी अविलंब व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि मृतकों की आत्मा की शांति, बांग्लादेश सरकार को सद्बुद्धि तथा राष्ट्र के विकास व उन्नति की कामना के से शांति यज्ञ तथा विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया।
श्रीमहंत हरी गिरी महाराज ने भी इस अवसर पर कहा बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार की समस्त अखाड़े व सनातन धर्मी निंदा करते हैं। साथ ही भारत सरकार से व बांग्लादेश सरकार से मांग करते हैं कि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार व नरसंहार को रोकने के लिए तत्काल गंभीर कदम उठाए। उन्होंने भारत सरकार से इस पर नियंत्रण करने के लिए कूटनीतिक व कठोर राजनीतिक कदम उठाने की भी मांग की। उन्होंने बताया कि अखाड़े की अन्य सिद्ध पीठों पर भी शांति यज्ञ व विशेष पूजा अर्चना की जा रही है। विशेष पूजा-अर्चना व शांति यज्ञ में जूना अखाड़े के राष्ट्रीय मंत्री श्रीमहंत मोहन भारती, श्रीमहंत महेश पुरी, श्रीमहंत ओम भारती, श्रीमहंत शैलेंद्र गिरी, महामंडलेश्वर ऋषि भारती, श्रीमहंत सुरेशानंद सरस्वती, महंत महाकाल गिरी, रतन गिरी, ग्वालापुरी महाराज, आकाश गिरी, अभिमन्यु पुरी, सच्चिदानंद गिरी, महंत विद्यानंद गिरी, अमृतानंद सरस्वती, सुरेशानंद, महामायानंद समेत बडी संख्या में साधु संत व श्रद्धालु शामिल रहे।
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