श्री स्वामी राम -
ध्यान चिंतन या मनन नहीं है। मनन, विशेष रूप से प्रेरणादायक अवधारणाओं व आदर्श जैसे सत्य, शांति व प्रेम आदि में सहायक हो सकता है परंतु वह ध्यान की प्रक्रिया से अलग है। मनन में, आप अपने मन को किसी अवधारणा की जानकारी से जोड़ते हैं और मन से किसी निश्चित विचार के अर्थ व मूल्य परसोच-विचार करने को कहते हैं। ध्यान के तंत्र में, मनन को एक अलग अभ्यास माना जाता है, ध्यान कोई सम्मोहन या आत्म-परामर्श नहीं है। सम्मोहन में, मन को आप स्वयं कोई सुझाव देते हैं या यह किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा दिया जाता है। ऐसा सुझाव कुछ इस रूप में हो सकता है, "तुम्हें नींद आ रही है। तुम्हारा शरीर निढाल हो रहा है।" इस तरह सम्मोहन में मन को किसी भी प्रकार से वश में करने, सम्मोहित करने या उससे अपना काम निकलवाने की चेष्टा होती है ताकि उसे किसी बात पर विश्वास दिलाया जा सके। ऐसे कुछ सुझाय लाभदायक हो सकते हैं जैसे परामर्श की शक्ति में बहुत बल है। दुर्भाग्यवश, नकारात्मक परामर्श भी हमारे अस्तित्व के विभिन्न स्तरों पर विनाशक प्रभाव डालते हैं।
ध्यान का अभ्यास करते समय, आप मन को कोई परामर्श देने या उसे नियंत्रित करने का प्रयास नहीं करते। आप मन का केवल निरीक्षण करते हैं और उसे शांत व सहज होने देते हैं, ताकि मंत्र आपके भीतर गहराईयों तक जाते हुए, आपके अस्तित्व के गहनतम स्तरों का अन्वेषण और अनुभव कर सके। ध्यान परंपराओं में, सम्मोहन जैसा कोई भी अभ्यास अपने साथ गंभीर दायित्व भी रखता है। मिसाल के लिए, यह मन के भीतर संघर्ष उत्पन्न कर सकता है क्योंकि सुझाव में प्रयुक्त बाहरी बल के लिए सूक्ष्म प्रतिरोध हो सकता है। भले ही सम्मोहन या आत्म-सुझाव जैसे अभ्यास से कुछ उपचारक लाभ होते हों, परंतु यह बहुत महत्त्व रखता है कि आप उन्हें ध्यान के साथ न जोड़े। ऋषियों का कहना है कि ध्यान वास्तव में सम्मोहन का विपरीत ही है; यह किसी भी प्रकार के सुझाव या बाहरी बल की बजाए एक स्पष्ट स्थिति व आजादी है।
ध्यान कोई धर्म नहीं है। ध्यान ऐसा कोई विचित्र या विदेशी अभ्यास नहीं, जिसके लिए लिए आपको आपको अपने व संस्कृति संस्कृति को अस्वीकृत करना करना पड़े पड़े या या अपना अपना धर्म धर्म बदलना पड़े। ध्यान कोई कोई धर्म नहीं, यह तो एक एक व्यावहारिक, व नियोजित तकनीक है, जिसके माध्यम से अपने-आप को सभी स्तरों पर जाना जा सकता है। ध्यान संसार के किसी धर्म या संस्कृति से संबंध नहीं रखता, परंतु यह तो जीवन के आंतरिक आयामों के अन्वेषण तथा अंततः स्वयं को अपनी ही अनिवार्य प्रकृति में प्रतिष्ठित करने के विशुद्ध सरल उपायों में से है। कुछ विचारधाराओं में इसे अंतर्जात प्रकृति आप समाधि, कुछ में निर्वाण तथा कुछ में इसे संपूर्णता या प्रबोध कहा जाता है। इसे आप क्राइस्ट-चेतना भी कह सकते हैं। ये सभी शब्द व उपाधियाँ कोई महत्त्व नहीं रखते। ध्यान का तंत्र किसी विशेष धर्म को नहीं, आंतरिक आध्यात्मिकता की वृद्धि करता है।
कुछ लोग ऐसे अभ्यास का प्रचार करते हैं, जिन्हें वे ध्यान कहते है, परंतु यह वास्तव में ध्यान के साथ धर्म या अन्य सांस्कृतिक मूल्यों का मिश्रण मात्र है। यह देख कर ध्यान के साधक के मन में संशय पैदा होता है कि ध्यान का अभ्यासउनके धार्मिक विश्वास को क्षति पहुँचा सकता है या इसे अपनाने के लिए उन्हें अपनी संस्कृति का त्याग कर, दूसरी संस्कृति के रीति-रिवाज़ों को अपनाना होगा। ऐसा बिल्कुल नहीं होता। धर्म लोगों को सिखाता है कि उन्हें क्या विश्वास करना चाहिए, परंतु ध्यान आपको यह सिखाता है कि आपको अपने लिए प्रत्यक्ष अनुभव कैसे पाना है। इन दो तंत्रों के बीच कोई संघर्ष नहीं है। उपासना प्रार्थना की तरह धर्म का एक अंग है, जो कि उस दैवीय सत्ता के साथ हमारा संवाद या संप्रेषण है। निश्चित रूप से आप दोनों रूपों को अपना सकते हैं, आप पूजा-प्रार्थना करने वाले एक धार्मिक व्यक्ति होने के साथ-साथ एक ध्यान साधक भी हो सकते हैं, जो ध्यान की तकनीकों का प्रयोग करता हो, परंतु यह अनिवार्य नहीं कि आपको ध्यान करने के लिए किसी अन्य रुढ़िवादी धर्म को अपनाने या उसका त्याग करने की आवश्यकता होगी। ध्यान का अभ्यास, एक विशुद्ध तकनीक के रूप में उचित व्यवस्था के साथ किया जाना चाहिए। ध्यान करने के लिए आपको सीखना होगा :
शरीर को विश्रांत कैसे किया जाए।
ध्यान के लिए एक आरामदायक स्थिर मुद्रा में कैसे बैठा जाए।
अपनी श्वास प्रक्रिया को सहज कैसे बनाया जाए।
अपने मन की रेलगाड़ी में यात्रा कर रही वस्तुओं का सहज भाव से साक्षी कैसे बना जाए।
अपने विचारों की गुणवत्ता का निरीक्षण कैसे करें और उन विचारों का प्रचार करना सीखें, जो आपके विकास के लिए सहायक व सकारात्मक हों।
किसी भी परिस्थिति में केंद्रित व अविचलित कैसे रहें, भले ही आप इसे अच्छे रूप में लें या बुरे रूप में जानें।
यदि आप ध्यान को समझते हुए, इसे प्रभावशाली रूप से करते हैं, इसकी उपयुक्त तकनीकों व प्रवृत्ति के अनुसार चलते हैं, तो आप इसे तरोताज़ा तथा ऊर्जा से भरपूर बना देने वाला पाएँगे। अब आपने इस मूलभूत पृष्ठभूमि कि सामग्री को समझ लिया है इसलिए आप अगले चरण पर जाने के लिए प्रस्तुत है ध्यान के लिए तैयार होना।