डाॅ तेज प्रकाश पूर्णानन्द व्यास
ऐंटी एजिंग साइटिस्ट.
(से. नि. प्राचार्य , शासकीय राजा भोज स्नातकोत्तर महाविद्यालय, धार)
Mystic Power- 20 March को अंतरराष्ट्रीय हैप्पीनेस डे विश्व भर में मनाया जाता है । 20 मार्च तो क्या ? भारतीयों को आदि काल से श्रीमदभगवदगीता ने शास्वत प्रसन्नता के आशीर्वाद दे रखे हैं । मानव ईश्वर निर्मित इस वसुन्धरा गृह की सर्वोत्कृष्ट कृति है । जीवन का हर पल अमूल्य है। लिव, लव ,लॉफ , जीएं हर पल का हजारवां भाग भी। प्रेम परिवार समाज राष्ट्र और पृथ्वी माता से हो। हवा जल मिट्टी को पवित्र रखने के लिए, मानव कृत संकल्पित होकर अपनी भूमिका निभाए । लाफ, हंसिए जरूर : पृथ्वी गृह पर ईश्वर ने हंसने का आशीर्वाद केवल मानव को ही दिया है । खुलकर हंसिए।
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एक शिशु की भांति स्वयं को एकीकृत कर हंसिए ।भजन गीतों पर नृत्य कीजिएगा।
ईश्वर प्रदत्त आवदानों के लिए भी कृतज्ञता व्यक्त कीजियेगा: सूरज, चांद, पहाड़ , नदी , तितली, कलरव करते पक्षियों की चहचहाट और सभी ईश्वरीय अवदानों के लिए। एक गुलाब का फूल अपनी सुगन्ध को सभी दिशाओं में परिवहित करता है। पौधे से गिर पुनः धरा की उर्वरा को बढ़ाता है। गुलाब खुशियों का जीवन मानव को सिखाता है, कांटो में भी हंसता , प्रफुल्लित होता , सुन्दरता और खुशबू के साथ। प्रार्थना कीजिएगा कष्टों से जीवन जी रहों को कष्ट से मुक्ति के लिए।माता पिता वडीलों की सेवा नियमित कीजिए। माता पिता और सदगुरु से बढ़कर कोई देव नहीं है। घर में ही पूजाघर एवम परिवेश की पवित्रता से मन्दिर की खुशियों से भर देवें। मानव के लिए आज और अभी का समय गत दस हजार दिवसों से भी श्रेयस्कर है ।
आज है सर्वोत्कृष्ट, तो बीता कल भी श्रेष्ठ और आने वाले कल के लिए श्रेष्ठ अभ्यास का पाठ। सुख दुःख में साम्यता रखते हुए जिएं। स्वयं ,परिवार ,समाज ,राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को अपने प्यार सम्मान समर्पण के साथ मनसा, वाचा कर्मणा निभायें । ईमानदारी से जीवन निर्वहन कीजिए । दया ,करुणा , प्रेम ,अहिंसा, परहित , सहिष्णुता, हृदय की पवित्रता , निर्भयता , आत्म संयम , स्वाध्याय: सदसाहित्य पठन, आत्मानुशासन , अक्रोध, शान्ति, दोष खोजना एवम निन्दा रहितता,लोभ शून्यता, शीलता , सज्जनता, चरित्र की उज्ज्वलता, क्षमा, धैर्य, आन्तरिक शुद्धता, आंतरिक शास्वत खुशी, अहंकार शून्यता जीवन की उत्तम खुशियां हैं।
मानव सहित सभी जीवों प्रति दया भाव, गाय को रोटी, पक्षियों के लिए अन्न जल, पौधों को पानी नियमित देकर स्वयं को प्रसन्नता में जोड़े। सूर्य को अर्घ्य दीजिए। सुबह शाम सूर्य को गौ घृत से आहुतियां देकर परिवेश को पवित्र कीजिएगा। सूर्य प्रकाश ,पेड़ पुष्प उद्यान में भ्रमण को दैनिक अंग बनाएं। सूर्य प्रकाश में प्रातः भ्रमण ( सौ से दस हजार कदम तक), योगा, ध्यान, कसरत : बाइसाइकिलिंग अवश्य कीजिएगा। चलने, योग, व्यायाम के साथ, मानव मस्तिष्क न्यूरोकेमिकल्स से विपुल भर जाता है जो सकारात्मक मनोदशा प्रदान करता है। यह एंडोर्फिन हैप्पी हार्मोन के स्राव में भी मदद करता है जो दर्द को कम करता है, श्रेष्ठ स्वास्थ्य साझा करता है, सेरोटोनिन हैप्पी हार्मोन मानव मस्तिष्क को शांत रखता है, न्यूरोपेप्टाइड मस्तिष्क को आघात से बचाता है, और डोपामाइन हैप्पी हार्मोन मस्तिष्क प्रणाली को सक्रिय करता है, सुस्वास्थ्य के लिए। प्रातः भ्रमण , कसरत आदि के संकुचन में मांसपेशियां मायोकिन्स, छोटे प्रोटीन छोड़ती हैं जो अतिरिक्त सूजन को दूर करने में मदद करते हैं , जो बेहतर स्वास्थ्य के लिए मदद करता है।बस जियो 100% हरपल ।अंकुरित अनाज शाकाहार रंग बिरंगी सब्जियों, रंग बिरंगे फल विटामिंस और मिनरल्स से भरपूर हैं ।
जो शरीर को समग्र रूप से स्वस्थता प्रदान करते हैं। हमारे शरीर में रक्त वाहिनियों का एक लाख किलोमीटर के परिपथ को आंतरिक लचीलापन एवम रक्त के नैसर्गिक परिवहन के लिए लाल रंग जैसे सेवफल, अनार, लाल मिर्च में अर्जिनाइन अमीनो एसिड, पके टमाटर का सूप में लाइकोपिन हृदय एवम मस्तिष्क को सुस्वस्थता प्रदान करते है । याद रखिए, शरीर की स्वस्थता पाचन याने मध्यप्रदेश से होकर गुजरती है। पाचन स्वस्थ तो मस्तिष्क और पूरा शरीर स्वस्थ। खुशियों के परिवहन के लिए शरीर का समग्र रूप से स्वस्थ होना भी अति आवश्यक है। कर्मण्यता एवम परहित के साथ जीएं। विपत्तियां तो आएंगी ही, विपत्तियां भी खुशी हैं, उनका सामना करना और उन्हें निरापद कीजिएगा। जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ है बाबू मोशाय। राजेश खन्ना के डायलॉग को सदैव स्मरण रखिएगा । जिंदगी हंस कर जीएं ।
बृहदारण्यकोपनिषद् का मंत्र जीवन का अविभाज्य अंग बन जावे।
ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय ॥
ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः ॥
हे प्रभु! मुझे असत्य से सत्य की ओर ।
मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ।
और मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो॥
बस ये ही हैं खुशियों के अनमोल सूत्र हैं।जीवन हर पल जी जीएं, जीवन उत्सव हो जाए, मृत्यु भी उत्सव हो जावे। यह है जीवन की सत्यता।
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