श्री अरुण कुमार उपाध्याय (धर्मज्ञ)-
Mystic Power- अधिकतर विधर्मी माँ सरस्वती और भगवन ब्रह्मा के संबंधों पर समय-समय पर अनर्गल प्रलाप करते देखे गये हैं इस लेख में माँ सरस्वती और भगवान ब्रह्मा का संबंध प्रमाण सहित बताया जा रहा है -
उनके सम्बन्ध पर प्रश्न है जो मूल रूप से उठते है वो हैं
अब विस्तार से जानिए वास्तविकता क्या है ?
मत्स्य पुराण और सरस्वती पुराण के अनुसार जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे तो स्वयं को अकेला महसूस कर उन्होंने सरस्वती , संध्या और ब्राह्मी का निर्माण अपने वीर्य से किया इसका तात्पर्य है कि सरस्वती जी के पिता तो थे किंतु उनका जन्म बिना माता के हुआ था , सरस्वती जी की सुंदरता और रूप को देख कर कई देवता गण उन पर मोहित होने लगे उनमे से एक स्वयं ब्रह्मा जी भी थे, सरस्वती माता को ब्रह्मा जी की मंशा का पता चला तो वो उनसे बचकर भागने लगी और छुपने के लिए उचित स्थान की खोज करने लगीं , तब देवी सरस्वती आकाश में जाकर छुप गयीं, किन्तु मत्स्य पुराण में ब्रह्मा जी को 5 सिर होने की बात कही गयी है जिससे उन्होनें देवी को आकाश में ढूंढ़ लिया और अंततः देवी उनसे विवाह करने को राजी हो गयीं, सुनने में यह बात बहुत अटपटी लगती है कि एक पिता पुत्री से विवाह कैसे कर सकता है किंतु मत्स्य पुराण और सरस्वती पुराण के अनुसार ये सत्य माना गया है , उसके पश्चात इन दोनों ने जंगल मे लगभग 100 वर्ष साथ मे बिताये और इस तरह मनु का जन्म हुआ , किन्तु यह पूर्णतया सत्य नही है।
मैंने इस घटना का वर्णन इसलिए किया है क्योंकि आपको हमेशा यही घटना सुनाकर बेवकूफ बनाया जाता रहा है , मूर्ख सनातनियों को बेवकूफ बनाना आजकल बड़ा आसान है , जिनका अपने धर्म ग्रंथों , वेदों उपनिषदों से कोई संबंध ही नही है वो ईसाइयों और मुस्लिमों द्वारा फैलाये गए भ्रांतियों में फंसते गए, एक पुत्री का जन्म पिता के x गुणसूत्र और माता के x गुणसूत्र के मिलने से होता है अतः x-x का संयोग जरूरी है इस तरह सरस्वती जी ब्रह्मा जी की जैविक पुत्री हैं ही नही , जिस सरस्वती पुराण का जिक्र मैंने ऊपर किया है उसका नाम किसी सनातनी ने कभी सुना ही नही होगा , उपनिषदों के अनुसार सरस्वती देवी का जन्म ब्रह्मा जी के मुख से निकली वायु द्वारा हुआ है इसलिए बृहदकारण्य उपनिषद में उन्हें शाश्वत पत्नी कहा गया है, किसी भी ग्रंथ में देवी के लिए संस्कृत भाषा मे पुत्री शब्द का उपयोग नही किया गया है जिसे अन्य मूर्खों द्वारा अंगेजी में daughter कहकर लोगों को भ्रमित करने का काम किया गया है ,"यथा स्त्रीपुमानसौ सम्परिषवक्तौ स इममेवात्मानं द्ववेधाऽपातयत ततः पतिश्च पत्नी चाभवताम"।
वैदिक परंपरा में अर्धांगिनी शब्द का प्रयोग पत्नी के लिए किया जाता रहा है, मनुष्यों के लिए इसका अर्थ द्वितीयक है, प्राथमिक अर्थ ब्रह्मा , विष्णु और महेश के लिए है, अतः हमें वैदिक घटनाओं को वैदिक परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए ना कि इस्लामिक परिप्रेक्ष्य में , उम्मीद करता हूँ आपको यह बात समझ में आ गयी होगी , संस्कृत के श्लोक लिखने में मात्राओं में त्रुटि हुई है इसलिए अनुरोध है इस भूल को नजरअंदाज करें, धन्यवाद ।
Comments are not available.