श्री शक्ति उपासक ' कौलाचारी '-
मण्डल रहस्य क्या है यह इस विषय पर यह है मण्डल रहस्य यानि भैरवी भैरव साधना है पहले तो यह सच है कि भैरवी नौ युवतियों को इस साधना मे सम्मिलित किया जाता है सैतीस को नही केवल नौ युवतियों, नौ देवियों या आठों + एक मुख्य नौ प्रकार की काली की प्रतीक होती है ।
ये नौ चक्र की देवियाँ है। कुण्डलिनी का चक्र इनसे पूरा होता है और कुण्डलिनी के प्रत्येक कमल मे श्रीचक्र योनिरूपा भगवती/ शिवलिंग (आधायोनि )होती है, इसलिए इसे श्रीचक्र कहा जाता है। सदाशिव भौतिक दान नही देते है, इनके माध्यम से देते है इन सभी चक्रों मे नौ देवियाँ है जो विभिन्न देवी शक्तियों का उत्सर्जन करती है। इनका वर्गीकरण है और मण्डल मे भिन्न भिन्न रोगों या विवरण है यानि नौ युवतियों को अलग अलग रंगों से वस्त्र धारण करा कर समस्त भैरवियों को इनके प्रतीकात्मक स्वरूप मे मण्डल मे बैठाया जाता है ।
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और इनके वस्त्र एवं श्रृंगार भी उसी प्रकार किया जाता है। युवतियों का चुनाव भी इसी आधार पर किया जाता है जाति और वर्ण के आधार पर गोपनीयता के कारण यह प्रकट नही किया जा सकता है ।
ऐसी युवतियां भैरवी नही हो सकती है ऋषि कन्या,शराबी, छोटे भाई पत्नी, व्रतादिकरने वाली, गुरूकुल से सम्बंधित , गुरू पत्नी, सगोत्र, शरणागत, शिष्य की पत्नी, पापिन या पाप कर्म करने वाली स्त्री,जो रजस्वला न हो, गर्भिणी, छोटे बच्चों वाली ये युवतियां भैरवी नही हो सकती है ।
भैरवी के गुण-शील स्वभाव वाली, सौन्दर्यमयी,युवा हो,पर ये त्याज्य है रोग ,व्याधि,दुर्बलता, उदासीनता, दुःख, या मानसिक रूप से असंयत स्त्री भी वर्जित होती है पूजा के समय काम- विकार नही आना चाहिए । ऐसा भाव से सिद्धि नही मिलती है।
मै कभी इस रहस्य पर लिखना नही चाहता था क्योंकि यह बहुत गोपनीय है पर आज भैरवी की परिभाषा देखकर पर लिखना पडा है ।
आज भैरवी साधना से नाम. पर शोषण किया जाता है और कुछ अपने को भैरवी बताने वाली महिलाएँ भी अपने को सोशल मीडिया पर न जाने क्या क्या लिखती रहती है