वैदिक विधि से संकल्पपूर्वक देवार्चन करना, मद्य-मांस का सेवन न करना, ब्रह्मचर्य पालन करना, लोभ-मोह से दूर रहना, एकान्त, शान्त पुण्यक्षेत्र में रहकर शुद्धभाव से ध्यान-साधना में निरत रहना, काम-क्रोधरहिन रहना, त्रिकाल सन्ध्या और जप करना, रात में माला और मन्त्र का स्पर्श न करना और गुरु निन्दा न करना- यही वेदाचार है।
नित्यतन्त्र में वैष्णवाचार-
वेदाचार की ही भाँति संयम-नियम का पालन करते हुए ब्रह्मचर्यरत रहना, हिंसा, निन्दा, कुटिलता से दूर रहना, भगवान् विष्णु की अर्चना करना और सभी कर्मों को उन्हें समर्पित कर देना तथा सम्पूर्ण जगत् को विष्णुमय समझना वैष्णवाचार है।
नित्यतन्त्र में शैवाचार वेदाचार की भाँति शिव और शक्ति की आराधना करना शैवाचार है। इसमें एक विशेषता यह है कि बलिदान भी किया जाता है।