डॉ. मदन मोहन पाठक (धर्मज्ञ)
प्रकृति के स्थूल-सूक्ष्म सभी रूपों में परमात्मा व्याप्त हैं- ईशावास्यमिदः सर्वं यत्किंच जगत्यां जगत् (शु०यजु० ४०।१)।
उसी की सत्ता से सभी सत्तावान् हैं, प्रतिष्ठित हैं, चेतन हैं और आनन्दरूप हैं। वही एक तत्त्व विभिन्न रूपवाला होकर अनेक देवरूपों में विभक्त है और पृथक् पृथक् रूप से उन-उन पदार्थों तथा द्रव्यों के देवता रूप में अधिष्ठित है। इस दृष्टि से सभी पदार्थों के अधिष्ठाता देवता भिन्न-भिन्न नाम-रूपवाले होते हैं। यथा प्रकृति के स्थूलभूत पंचतत्त्वों के अधिष्ठाता देवता क्रमशः इस प्रकार हैं- आकाश के देवता विष्णु, अग्नि के महेश्वरी, वायु के सूर्य, पृथ्वी के शिव तथा जल के देवता गणेश हैं। ऐसे ही तिथियों के देवता हैं, नक्षत्रों के देवता हैं, पृथ्वी पर के जितने पदार्थ हैं, सबके अलग-अलग देवता हैं। शास्त्र ने यह विचार किया है कि दान में जो वस्तु देय है, उसे देते समय संकल्प में उस वस्तु के देवता का उल्लेख होना आवश्यक है। इसके लिये यह जानकारी होनी आवश्यक है कि किस वस्तु के देवता कौन हैं? इस पर शास्त्रों में विस्तार से विचार हुआ है। तैत्तिरीय आरण्यक में बताया गया है कि वस्त्र के देवता सोम हैं, गौके देवता रुद्र हैं, अश्व के देवता वरुण हैं, पुरुष के देवता प्रजापति हैं, शय्या के देवता मनु हैं, अजा के देवता त्वष्ट्रा हैं, मेष के देवता पूषा हैं, इसी प्रकार अश्व और गर्दभ के देवता निऋति, हाथी के हिमवान्, माला तथा अलंकार के पदार्थों के गन्धर्व तथा अप्सराएँ, धान्य पदार्थों के विश्वेदेव, अन्न के वाक् देवता, आंदन (भात) के ब्रह्मा, जल के समुद्र, यान आदि के उत्तानांगिरस तथा रथ के देवता वैश्वानर हैं।
विष्णुधर्मोत्तरपुराण में विस्तार से द्रव्य-देवताओं का उल्लेख आया है, जो उपयोगी होनेसे संक्षेपमें तालिकाके रूपमें यहाँ प्रस्तुत है-
देय-द्रव्य देवता
भूमि विष्णु
गाय रुद्र
कुम्भ, कमण्डलु आदि जलपात्र वरुण
समुद्र से उत्पन्न रत्नादि पदार्थ वरुण
स्वर्ण तथा सभी लौहपदार्थ अग्नि
सभी फसलें, पक्वान्न पदार्थ प्रजापति
सभी गन्धयुक्त पदार्थ गन्धर्व
• विद्या तथा पुस्तक आदि सरस्वती (ब्राह्मी)
शिल्पपदार्थ (बर्तन आदि) । विश्वकर्मा
वृक्ष, पुष्प, शाक तथा फल वनस्पति देवता
छत्र, शय्या, रथ, आसन, । आंगिरस
उपानह तथा सभी प्राणरहित पदार्थ सर्वदैवत्य (विश्वेदेव)
अन्य अनुक्त पदार्थ विष्णु
इसी प्रकार विविध देय-द्रव्यों के मन्त्र भी शास्त्रों में दिये गये हैं, जिनका उपयोग दान के समय करना चाहिये।