मंत्र और बीज मंत्र में अंतर

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  • तंत्र शास्त्र
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  • 31 October 2024
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शशांक शेखर शुल्ब (धर्मज्ञ ) मंत्र शब्दों का संचय होता है, जिसके जाप द्वारा इष्ट को प्राप्त कर सकते हैं और अनिष्ट बाधाओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।   मंत्र योग संहिता के अनुसार – ‘मंत्रार्थ भावनं जपः’   अर्थात् प्रत्येक मंत्र के अर्थ को जानकर ही जप करने पर अभीष्ट फल प्राप्त होता है।   मंत्र शब्द में मन् और त्र ये दो शब्द हैं। ‘मन्’ अर्थात् मन को एकाग्र करना और ‘त्र’ अक्षर का अर्थ त्राण अर्थात् रक्षा करना।   मंत्र एक ऐसी शक्ति है जिसके उच्चारण मात्र से प्रत्येक समस्या का समाधान प्राप्त किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि मंत्र जाप से हमारी अन्तःचेतना जाग्रत होकर सक्रिय हो उठती है। हमारे आसपास के वातावरण में भी सकारात्मक ऊर्जा प्रभावी हो जाती है।   धर्म शास्त्रों के अनुसार – ‘मनः तारयति इति मंत्रः’   अर्थात् मंत्रों में वह शक्ति होती है कि वो मानव को तार देते हैं। हर देवी देवता के अपने मंत्र होते हैं और उनके स्मरण मात्र से मानव के उन्नति और उसकी सफलता के द्वार खुलते हैं।   मंत्रों को मुख्यत: तीन प्रकार से श्रेणीबद्ध किया गया है – वैदिक मंत्र , तांत्रिक मंत्र और शाबर मंत्र।   वैदिक मंत्र – वैदिक संहिताओं की समस्त ऋचाएं वैदिक मन्त्र कहलाती हैं। धार्मिक कर्मकांडों में वैदिक मंत्रों का ही जप अथवा उच्चारण होता है। वैसे तो वैदिक मंत्रों को सिद्ध करने में काफी समय लगता है। लोकिन यदि उनको एक बार सिद्ध कर लिया जाए तो वे फिर कभी भी नष्ट नहीं होते हैं। मानव जीवन में उनका प्रभाव सदैव बना रहता है। जो कोई भी अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए वैदिक मंत्रों को सिद्ध कर लेता है, उसके जीवन पर मे उस मंत्र का प्रभाव सदा के लिए स्थापित हो जाता है।   तांत्रिक मंत्र- तन्त्रागमों में प्रतिपादित मन्त्र तान्त्रिक मन्त्र कहलाते हैं। वैदिक मंत्रों को सिद्ध करने में कड़ी मेहनत और ध्यान की जरूरत होती है। लेकिन तांत्रिक मंत्र वैदिक मंत्र की अपेक्षा जल्दी सिद्ध हो जाते हैं और अपना फल भी मानव को जल्दी दे देते हैं। तांत्रिक मंत्र जितनी जल्दी सिद्ध होते हैं उतनी ही जल्दी उनका प्रभाव भी समाप्त हो जाता है। अर्थात् जितनी जल्दी तांत्रिक मंत्र अपना असर दिखाते हैं, उतनी ही जल्दी उनकी शक्ति भी क्षीण हो जाती है। तांत्रिक मंत्रों का प्रभाव वैदिक मंत्रों की अपेक्षा कम समय तक बना रहता है।   शाबर मंत्र- वैदिक और तांत्रिक दोनों मंत्रों से शाबर मंत्र अलग होते हैं। शाबर मंत्र बहुत जल्द सिद्ध हो जाते है। यानी वह जातक को अपना प्रभाव जल्द देते हैं। ये मंत्र शीघ्र सिद्ध होते हैं इसलिए इनका प्रभाव भी ज्यादा देर तक नहीं रहता है।   तान्त्रिक मन्त्र तीन प्रकार के होते हैं- बीज मन्त्र, नाम मन्त्र एवं माला मन्त्र।   बीज मंत्र – दैवीय या आध्यात्मिक शक्ति को अभिव्यक्ति देने वाला संकेताक्षर बीज कहलाता है।   अपने आराध्य का समस्त स्वरूप, उनके बीज मंत्र में निहित होता है। ये बीज मन्त्र तीन प्रकार के होते हैं- मौलिक, यौगिक व कूट। जिन्हें कुछ विद्वान एकाक्षर, बीजाक्षर एवं घनाक्षर भी कहते हैं।   जब बीज अपने मूल रूप में रहता है, तब मौलिक बीज कहलाता है, जैसे- ऐं, यं, रं, लं, वं, क्षं आदि।   जब यह बीज दो वर्णों के योग से बनता है, तब यौगिक बीज कहलाता है जैसे- ह्रीं, क्लीं, श्रीं, स्त्रीं, क्षौं आदि।   इसी तरह जब बीज तीन या उससे अधिक वर्णों से बनता है तब यह कूट बीज कहलाता है।   बीज मन्त्रों में समग्र शक्ति विद्यमान होते हुए भी गुप्त रहती है। सभी बीज मंत्र अत्यंत कल्याणकारी होते हैं, जो अलग-अलग देवी-देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं ।   ||ॐ||



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