सब प्रकार के मधु व्रण, जख्मों को भरने वाले और टूटी हड्डियों को जोड़ने वाले होते हैं । इसका अधिक...
आमाशय दुर्बल होने से पाचनशक्ति न्यून हो जाती है और भोजन को ठीक नहीं पचा सकती । अतः शरीर के...
ॐकार का उपर का भाग सहस्त्रार-चक्र के रूपमें मध्य भाग अनाहत-चक्र के रूप में व नीचे का भाग मूलाधार-चक्र के...
तारूण्यावस्था मे दुषित कफ , वात और रक्त की दुषित होने से काँटे जैसे फोडे मुँह, गर्दन या कभी कभी...
माता कभी क्रुद्ध भी हो सकती है किन्तु पेट में गई हुई हरड़ कभी कुपित नहीं होती।’ मेथी, सोंठ और...
गले के छिद्रों से नीचे के अवयवों (आमाशय) से जिन द्रव्यों का संयोग कराया जाता है, उसे आहार कहा जाता...
यह वायु व पित्त नाशक परंतु कफकारक है तथा कांतिवर्धक, रक्त की शुद्धि करनेवाला एवं भूख बढ़ानेवाला है | इसके...
हरीतकी को वैद्यों ने चिकित्सा साहित्य में अत्यधिक सम्मान देते हुए उसे अमृतोपम औषधि कहा है।...
प्राणायाम एक आध्यात्मिक साधना है जो हमारी चेतना को परमात्मा से जोड़ता है। यह कोई श्वास-प्रश्वास का व्यायाम नहीं है,...
जैसे घर मनुष्य की धूप से रक्षा करता है, उसी प्रकार हठ योग एक योगी की तीनों प्रकार के तपों...