इस संसार वृक्ष का मूल ऊर्ध्व कहा गया है जो सच्चिदानन्द ब्रह्म है। वृक्ष को आधार तथा पोषण अपने ही...
हर गुरु का यही उद्देश्य है कि शिष्य उससे आगे निकले तथा उनकी भूलों का भी सुधार करें।...
तैत्तिरीय उपनिषद् ने ५ प्रकार के अर्थ कहे हैं। सभी अर्थों के बाद भी प्रथम मन्त्र की पूर्ण व्याख्या नहीं...
राजकीय केन्द्र काशी के राजा जैसे दिवोदास भोज थे, और इस क्षेत्र की भाषा भोजपुरी है। नक्शा बनाने के लिये...