सूर्य केन्द्रित चक्रों के रूप में ३ चक्र सौर मण्डल के भीतर हैं, जो विष्णु के ३ पद हैं। प्रथम...
वेद में परमात्मा को ओ३म् नाम से अभिहित किया गया है अन्य सभी नाम उसके गुणों के आधार पर विशेषण...
जिनके गले में सर्पों का हार विभूषित है, जो त्रिनेत्रधारी हैं, भस्म ही जिनके शरीर का अंगराज (उबटन) है, जो...
भगवान शिव का स्वरूप अत्यंत अलौकिक और रहस्यमय है। वे विभिन्न वस्त्र, आभूषण और प्रतीक धारण करते हैं, जो उनके...
प्राचीन ईरानी इतिहासकार और अवेस्ता दोनों ही में स्वीकार किया गया है कि लोग वरुण को हो सृष्टि का रचयिता...
प्रधानमंत्री ने कहा कि संघर्ष का एक और कारण दूसरों को खुद से मौलिक रूप से अलग समझना है जिसके...
जो किसी प्रकार के अञ्जन से नहीं दीखे या अनुभव किया जा सके वह निरञ्जन तत्त्व है। यह अति सूक्ष्म,...
परिवार तथा गोत्र से काटना ही कन्या दान है और इसका अधिकार उसके माता पिता को ही है। उसके बाद...
गायत्री २४ अक्षर का छन्द है। २ घात २४ = १ कोटि) सभी लोकों की माप है। विष्णु पुराण (२/७/४)...
बिना पुरश्चरण किये हम गुरू-कृपा द्वारा प्राप्त मन्त्र से भी कोई कार्य नहीं ले सकते। अतः पुरश्चरण ही मन्त्र का...